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लेखनी कहानी -26-Jul-2022

अमन आज जल्दी जल्दी बस स्टॉप की ओर जा रहा था । वह आज फिर से लेट था । अब तो उसकी फितरत सी हो गई थी लेट ऑफिस जाना और बॉस से डांट खाना । उसे दिल्ली में लाजपत नगर से गुड़गांव जाना होता था । वह पहले मेट्रो से धौला कुंआ जाता था फिर वहां से बस से गुड़गांव जाना होता था । अभी उसे बस पकड़नी थी । कितनी भीड़ होती है बस में । कभी कभी तो खड़े होने के लिए भी जगह नहीं मिलती है । लेकिन जाना तो पड़ता ही है चाहे लटक कर ही क्यों ना जाना पड़े । 


वह अपने ही ताने बाने में उलझे हुए सामने बस की ओर लपका जा रहा था । वह अभी अभी आई थी । भाग कर वह बस में चढ गया और तीन सवारियों वाली सीट पर जाकर बैठ गया । वह अक्सर ऐसा ही करता है । जब भी कोई अवसर मिलता है तब वह तीन वाली सीट में बीच वाली सीट पर बैठता है । अपने अगल बगल वाली सीट खाली छोड़ देता है किसी अनजानी "परियों" के लिए । क्या पता कब कौन सी परी आ जाए और उसे उनके बगलगीर होने का सौभाग्य मिल जाए । कभी कभी उसकी फरियाद ईश्वर सुन भी लेता था और कभी कभी कुछ ज्यादा ही मेहरबानी कर देता था और कोई मुस्टंडा उसकी बगल में बैठा देता था । तब सफर कटना कितना मुश्किल हो जाता है ना ? 

आज भी ईश्वर उस पर मेहरबान थे । पहले एक अप्सरा आई और उसके दांयी ओर वाली खाली सीट पर बैठ गई । उसके बदन की खुशबू में अमन खो गया । उसे लगा कि जैसे वह स्वर्ग लोक की यात्रा कर रहा है । अभी वह इस यात्रा का पूरा आनंद ले भी नहीं पाया था कि एक और अप्सरा आकर उसके बांयी ओर वाली खाली सीट पर बैठ गई । आज तो अमन अपने भाग्य पर इठला रहा था और मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दे रहा था "हे प्रभु, आपके इस अहसान का बदला कैसे चुकाऊंगा मैं ? आज दुनिया में मुझसे अधिक भाग्यशाली व्यक्ति और कौन है जिसको दो दो अनिंद्य सुंदरियों ने घेर रखा हो । उनके बदन से उड़ने वाली सुंगध में डूबने का मौका मिल रहा हो । हे प्रभु, आप महान हैं । मेरा प्रणाम स्वीकार करो प्रभु" । उसने मन ही मन भगवान को करोड़ों धन्यवाद दे डाले । 

उसने मुस्कुरा कर दांयी ओर वाली हसीना को देखा । गोरा चिट्टा रंग और आकर्षक नैन नक्श । बड़ी बड़ी काली काली आंखें । घने रेशमी लंबे काले बाल । सुर्ख होंठ । अमन उसे देखता ही रह गया । इतने में उस लड़की ने फुसफुसा कर कहा 
"ये क्या कर रहे हो ? हम लोग बस में बैठे हैं । ऐसे अवाक होकर देखना ठीक नहीं है । कुछ तो शर्म करो" । और वह हौले से मुस्कुरा दी । 

अमन को बड़ा आश्चर्य हुआ । उसे ऐसे "स्वागत" की उम्मीद नहीं थी । आज तो ईश्वर पूरी तरह मेहरबान लग रहे थे उस पर । ऐसे सोचकर उसने अपना दांया हाथ उसकी जांघ से सटा दिया । हाय , कितना नाजुक सा स्पर्श था उसका । कितना चिकना चिकना । लड़की ने आंखों से बरजते हुए धीरे से उसके हाथ को परे सरका दिया और अपना हाथ अमन की जांघ पर रख दिया । अमन ने उसकी आंखों में देखा तो उस लड़की ने अपने होठों को गोल करके जो इशारा किया तो अमन खुद ही झेंप गया । "आजकल लड़कियां कितनी 'खुली' हुईं हैं" वह सोचने लगा । 

इतने में उसे अपने बदन पर बांयी ओर से कुछ हलचल सी महसूस हुई । उसने नजर घुमाकर बांयी ओर देखा तो पता चला कि बांयी ओर वाली "मेनका" भी अपना हाथ उसकी बांयी जांघ पर फिरा रही थी । अब उसने बांयी ओर वाली मेनका के नयनों में अपने दिल की कश्ती डाल दी । मेनका ने भी अपने नीले गहरे नैनों में उसके दिल की कश्ती का भरपूर  स्वागत किया और अधरों से अपने दिल का हाल भी बता दिया । अमन ने अपना हाथ उसके हाथ के ऊपर रख दिया और धीरे से दबा दिया । लड़की ने भी उसके हाथों को सहलाकर हरी झंडी दे दी । अमन कंफ्यूज हो गया । दांयी वाली को देखे या बांयी वाली को  ? वह बारी बारी से दोनों को देखने लगा । उसे अपने मुकद्दर पर विश्वास नहीं हो रहा था । 

इतने में उसका मोबाइल बज उठा । "ये दाल भात में मूसल चंद कौन आ टपका" ? मन ही मन गाली देते हुए उसने 'एपल' का मोबाइल जेब से निकाला । "ओह ,ये तो लावण्या है । अब क्या करूं" ? लावण्या उसकी सबसे अच्छी गर्लफ्रेंड थी । वह उसके जज्बातों को थोड़ा थोड़ा समझती थी मगर बाकी की गर्लफ्रेंड याशिका, अविका और हर्षिता तो बस हुक्म चलाना ही जानती थीं । एक बार तो मन किया कि फोन उठा ले मगर उसे लगा कि कहीं इन दोनों को पता चल गया तो ? आज के हंसीं दिन का सत्यानाश हो जाएगा । इसलिए उसने मोबाइल नहीं उठाया और फोन अपनी जेब के हवाले कर दिया । 

"गर्लफ्रेंड का फोन था" ? दांयी वाली ने पूछा । 
"नहीं, वो मेरी एक कुलीग का फोन था" । झेंपते हुए अमन ने कहा 
"आपकी कोई गर्लफ्रेंड तो होगी ना" ? 
"अजी, हमारे ऐसे मुकद्दर कहां ? आप जैसी कोई मिली ही नहीं अभी तक । क्या आपका कोई ब्वाय फ्रेंड है" ? सरासर झूठ बोलते हुए वह कह गया । 
"नहीं । मुझे भी अभी तक आप जैसा हैंडसम कोई मिला ही नहीं" । लड़की ने मुस्कान बिखेरते हुए कहा । 

अमन को मुंह मांगी मुराद मिल गयी थी । उसने उस लड़की के हाथ को अपने हाथ में लिया और कुछ कहने ही वाला था कि इतने में एक बस स्टॉप आ गया और वे दोनों लड़कियां वहां उतर गईं । अमन चाहता था कि कम से कम मोबाइल नंबरों का आदान प्रदान तो हो जाये ।  लेकिन सब कुछ इतनी जल्दी में हो गया कि वह ना तो मोबाइल नंबर ले सका और ना ही दे सका । उनके जाने के बाद वह इश्क की बारिश में भीगने लगा । इतने में दो सफेद दाढी वाले आदमी आकर उसके अगल बगल वाली सीट पर बैठ गए । अमन को लगा जैसे भगवान ने रसमलाई खिला कर करेला परोस दिया हो । पर वह कर भी क्या सकता था ? 

तभी उसे ध्यान आया कि लावण्या का फोन आया था और उसने उठाया भी नहीं था उसे । "चलो, अब उससे ही बात कर ली जाये" ऐसा सोचकर उसने मोबाइल निकालने के लिए जेब में हाथ डाला । लेकिन ये क्या ? जेब में मोबाइल नहीं था । दूसरी जेब में हाथ डाला । वहां भी कुछ नहीं था । पर्स भी गायब था । 

"ओह , तो ये काम उन दोनों हसीनाओं का था । तभी इतना मुस्कुरा रही थीं और लाइन भी मार रही थीं वे दोनों । पर्स में 20000 रुपए थे । एपल का मोबाइल और 20000 रुपए का फटका लगा गईं थी दोनों अप्सराएं । दो अनजान मुसाफिरों की मुस्कान बहुत भारी पड़ी अमन को । अब तो वह लावण्या से बात भी नहीं कर सकता था । "हे प्रभु,  ये क्या किया तूने ? जन्नत की पिक्चर दिखा कर जहन्नुम की यात्रा करा दी, प्रभु । आप भी चीटिंग करने लगे प्रभु" ? 

ऊपर आसमान में कुछ बादल मुस्कुरा रहे थे । 

श्री हरि 
26.7.22 

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12 Comments

Saba Rahman

26-Jul-2022 11:44 PM

Nice

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Khan

26-Jul-2022 10:54 PM

Nice

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shweta soni

26-Jul-2022 09:22 PM

Bahut achhi rachana

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